ताजी, पक्की सब्जी के बीजों से कैसे तैयार करें पौध
इस बार घर पर सब्जी की पौध तैयार कीजिये क्योकि खुद बीज बोने के बाद पाैधे परवस्त करने का मजा ही कुछ अलग है। किचन गार्डन में लगाने को सब्जी के पौधों का बीज आसानी से आसपास ही मिल सकता है। ये गर्मियों व बरसात की सब्जी लगाने का सीजन है। मार्च कुछ बारिश में बीत गया। अब देर हो रही है सब्जी लगाने में।
ऐसे में बीज मुहैया हों तो ठीक है। नहीं तो कुछेक ताजी सब्जियों से बीज निकाले जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं घीया, तोरई, कद़्दू, करेले, खीरे व टमाटर। इनसे बीज निकालकर बिजाई कर दें। इन्हें गमले, ट्रे या क्यारी में बीज दें। हफ्ते-दो-हुफ्ते में मुफ्त ही पौध तैयार हो जाएगी।
तो देर किस बात की। जब भी रेहड़ी वाला आये तो पक्की- पक्की सब्जियां एक-एक पीस खरीद लें। पूरी गर्मी घर की सब्जी का इंतजाम हो जाएगा। सुकून मिलेगा, पैसे बचेंगे, हरियाली बढ़ेगी। सपरिवार भरपूर आर्गेनिक सब्जी भी खा सकेंगे।
बीज तैयार करने के टिप्स
गमले में छेद
गमले में छेद होना बहुत जरूरी है इसे पानी भी नहीं ठहरता इससे बरसात आदि में जलभराव से बचाते हैं प्लास्टिक या मिट्टी का गमला लिया जा सकता है इसके लिए
मिट्टी दोमट हो
मिट्टी ना तो रेतीली अच्छी रहती है और ना ही ज्यादा चिकनी । रेतीली मिट्टी में ज्यादा पानी चाहिए और चिकनी मिट्टी में बीज जल्दी से बाहर नहीं निकलता
गहराई में लगाएं बीज । बीजो की गहराई के बारे में ज्यादा ध्यान इस बात का रखना चाहिए कि ना तो बीज ऊपर पड़ा रहे और ना ही मिट्टी में ज्यादा अंदर दब जाए।
अगर बरसात का सीजन है तो गमलों में ही बीज बोए और ज्यादा झड़ी लगे तो किसी छाया वाले सुरक्षित स्थान में रख दे।
खाद की बात
खाद शुरुआत में ही बिजाई करने से पहले गमले या ट्रे में में मिट्टी के साथ डाल दें या फिर जब अंकुर अच्छी तरह बाहर निकल आए तो मिट्टी के ऊपर थोड़ी थोड़ी देसी खाद डालकर थोड़ी-थोड़ी मिट्टी उसके ऊपर बिखेर दें।
छटाई करें या रिप्लांट करें
यदि गमले में ही पौधा बड़ा करना है तो उसमें छटाई कर दे और एक आध ही प्लांट उसमें रखे। यदि कहीं और उखाड़ कर अंकुर को प्लांट करना है तो सभी पौधों को उखाड़कर प्लांट कर सकते हैं।
लेकर ही जुट जाएं गार्डनिंग में
कोरोना वायरस का फैलाव रोकने को देश लॉकडाउन है। बच्चे, बड़े सब अपने घरों में सिमटे हैं। जो वर्क फ्राॅम होम कर रहे हैं वे भी और जो कंपलीट छुट्टी पर हैं वे भी। सब टीवी देखते हैं। सोशल मीडिया पर जानकारी लेते हैं।
उससे भी ऊब भी हाे जाती है। वक्त बच जाता है तो बाहर चक्कर मारने निकलते हैं। कोई जानकार या अनजान दरवाजे के सामने दिख जाता है। बंदा फिर दरवाजे के अंदर चला जाता है।
क्या करें कोरोना बला ही ऐसी है। फिर नजर जाती है घर- आंगन में ही मौजूद प्रकृति पर। ऐसे में गमलों या किचन में काम करना आम के आम और गुठलियों के दाम है। खुरपी-फावड़ा न हो तब भी चलेगा। चाकू लेकर ही जुट जाएं गार्डनिंग में। गमला हो तो निराई-गुडाई-सिंचाई में समय बीत जाता है। और व्यायाम भी हो जाता है। किचन गार्डन हो तो क्या कहना।
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